खुशियों पर फिजाओं का पहरा है,
ना जाने किस उम्मीद पे दिल ठहरा है,
आपकी आखों से झलकते दर्द की कसम,
ये दोस्ती का रिश्ता प्यार से भी गहरा है…
खुशियों पर फिजाओं का पहरा है,
ना जाने किस उम्मीद पे दिल ठहरा है,
आपकी आखों से झलकते दर्द की कसम,
ये दोस्ती का रिश्ता प्यार से भी गहरा है…
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