मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफिल में तनहा बिठा दिया उसने,
ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से,
खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने…
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफिल में तनहा बिठा दिया उसने,
ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से,
खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने…
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