कब साथ निभाते है लोग,
आसुओं की तरह बदल जाते है लोग,
वो जमाना और था लोग रोते थे गैरों के लिए,
आज तो अपनों को रुलाकर मुस्कुराते है लोग…
कब साथ निभाते है लोग,
आसुओं की तरह बदल जाते है लोग,
वो जमाना और था लोग रोते थे गैरों के लिए,
आज तो अपनों को रुलाकर मुस्कुराते है लोग…
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